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कॉलगर्ल

पिछले एपिसोड में आपने देखा कि लवलीन समीर से मिलने की इच्छा जाहिर करती है। पर जिसके साथ काम करता हो उसकी हर इच्छा को पूरी करना समीर के स्वभाव में बिल्कुल नहीं था। या फिर यूं कहे तो गलत नहीं होगा कि उसने खुद को इस तरीके से तैयार किया था कि कोई भी संवेदनात्मक पल उसको अपने इरादों से विमुख नहीं कर सकते थे। अपने इसी मजबूत इरादे को थाम कर समीर ने लवलीन को साफ-साफ मना कर दिया था। हां लेकिन एक बात का समीर ने उसे भरोसा दिलाया था कि जिंदगी में कभी भी वह उसका हाथ नहीं छोड़ेगा। तब जाकर लवलीन के चेहरे पर संतोष की लहर दौड़ गई थी। *****  *****   *****

खटपड़िया काफी देर से अस्पताल में मीरा का इंतजार कर रहा था। मीरा अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुंची थी। सफेद साड़ी में लिपटा हुआ मीरा का शरीर खटपटिया को कुछ अलहदा प्रतीत हुआ। वह लगातार टकटकी लगाएं उसे देखता रहा। सामने कॉरिडोर से मीरा धीमे- कदमों से चलती हुई खटपटिया की ओर चली आ रही थी। जैसे ही मीरा खटपटिया के पास पहुंची वह तुरंत बोल उठा, "आई मीरा जी, मैं कब से आपका ही इंतजार कर रहा था। क्या है ना की मैं जितना हो सके जल्दी डेड बॉडी का पोस्टमार्टम करवाना चाहता हूँ। हत्या का मामला है भाई, कहीं से कुछ सुराग मिल जाए। चलिए आपको चेहरा दिखा देते हैं।" जैसे मीरा पर उपकार करते हुए खटपटिया बोल उठा। मीरा के गुलाबी चेहरे की रंगत उतर गई वह सिसकने लगी। खटपटिया तिरछी निगाहों से उसकी अदाकारी को देखता रहा। कितनी ढाढ थी वह स्त्री ! अपने पति की मौत पर उसे जरा भी तरस नहीं आया था। उसका रिएक्शन पूरी तरह बनावटी था। उसका रोना, सिसकना और दुःखी मन के चेहरे को उदास बनाए रखना आसान नहीं था। लेकिन मीरा ने यह अदाकारी कूट-कूट के भरी थी। खटपटिया खुद हैरान था कि उसने इतनी धाँसु अदाकारी कहां से सीखी होगी। किसी को रत्ती भर भी मीरा पर डाउट नहीं हुआ था। होता भी कैसे? पति की हत्या के वक्त वह तो यहां पर थी ही नहीं। मतलब कि उसका पूरी तरह इस मामले में बचाव हो गया था। हालांकि वो बात और थी कि खटपटिया की सोच उसे बिल्कुल विपरीत थी। खटपटिया वही सोचता था जिसके बारे में आम इंसान सोचना ही छोड़ दे। अपने पति का चेहरा देखने के बाद मीरा वहां एक मिनट भी खड़ी नहीं रही। उसका रिएक्शन ऐसा था जैसे उससे अपने पति का चेहरा देखा ही नहीं जा रहा हो। सिवाय खटपटिया के सबको ऐसा ही लगा कि बेचारी से अपने पति की लाश देखी नहीं गई। "मीरा जी, मैं आपका दु:ख समझ सकता हूंँ खटपटीयाने झूठा आश्वासन देते हुए कहा, चलिए आप बाहर चलिए जितनी देर आप अंदर रहेगी अपने पति का चेहरा आंखों के सामने रहेगा और आपका दम घूटता रहेगा। मीरा को लेकर खटपटिया बाहर आ गया था। "देखिए मीरा जी, मेरी दिली इच्छा बिल्कुल नहीं है कि आपको ऐसे हालात में कुछ पूछ कर आपकी तकलीफ  बढ़ाऊँ, फिर भी सरकारी मुलाजिम होने के नाते यह गुस्ताखी कर रहा हूँ 'क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकता हूँ?' खटपटीया ने जैसे ही मीरा की और देखा उसने सहमति में अपना सिर हिलाया। 'फिर मुझे एक बात बताइए क्या आपको किसी पर डाउट है?' मीरा काफी देर से गुमसुम खड़ी थी। इसलिए शायद अब वह मीरा के होंठ खोलना चाहता था। कभी-कभी ऐसा होता है घर में किसी खास मेंबर की मौत होने से उसके साथ दिल से जुड़े हुए लोग चुप्पी साध लेते हैं। जैसे उनके जीवन से किसी ने सारी खुशियां छीन ली हो। वह इंसान बिल्कुल गुमसुम हो जाता है। ना किसी से बात करता है ना किसी की बात सुनता है। वह बस अपनी ही धुन में मारा मारा फिरता रहता है। "मुझे किसी पर डाउट नहीं है।" काफी सोच समझकर मीरा जवाब दे रही थी।' 'नहीं....मुझे किसी पर डाउट नहीं है। "अच्छा, ये तो बड़ी हैरानी की बात है। आपके पति का कोई दुश्मन ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। हत्यारे ने अपनी चाल चल दी है।" इतना कहने के बाद खटपटिया मन ही मन सोचने लगा। इस औरत के मन में कितने राज दफन थे। लेकिन खटपटिया कितनी पहुंची हुई माया है यह बात  उस नादान विधवा बहू को कैसे पता होती। खटपटिया उसका कच्चा चिट्ठा फाड़ने के लिए अपनी चाल चल चुका था। इतना तो वह समझ ही गया था कि मीरा के घर के सीसीटीवी कैमरे को होशियारी से अपने मोबाइल में ओपन न किया होता तो उसे कुछ पता ही न चलता। खटपटिया उससे चार कदम आगे था। उसने अपने मोबाइल के अंदर सीसीटीवी कैमरा चालू करके वह सब देखा था जिसका अंदाज़ मीरा को बिल्कुल नहीं था। खटपटिया को जब लगा कि मीरा उसकी हेल्प करना नहीं चाहती है तो उसे अपने साथ रखने का कोई फायदा नहीं था इसलिए खटपटिया मीरा से मुखातिब हुआ। "ठीक है मीरा जी, अब आप घर जा सकती है। मैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखकर बाद में आपसे बात करूंगा। हत्यारे को ढूंढने की कोशिश कर रहा हूं बस आप दुआ करिए जितना हो सके उतना जल्दी आपके पति के हत्यारे को पकड़ कर जेल के हवाले कर दूँगा। "थैंक्स इंस्पेक्टर खटपटिया सर, मुझे आप पर पूरा भरोसा है आप अपने मिशन में जरूर कामयाब होंगे।" "मैं पूरी ताकत लगा दूंगा। आप बेफिक्र रहिए और अपने घर जाईए!" "ठीक है!" कहकर मीरा वहां से निकल गई *****

जैसे ही मीरा अपने घर के लिए रवाना हुई तो इंस्पेक्टर खटपटिया भी अस्पताल से पुलिस चौकी के लिए निकल चुका था। उसी वक्त खटपटिया के साथ इंस्पेक्टर जगदीश उपस्थित था। उसने अपना शक जाहिर करते हुए खटपटिया को बताया। "सर, आप चाहे कुछ भी मान लीजिए। मगर मुझे पूरा यकीन है कि कोई तो ऐसी बात जरूर है जो मीरा हमसे छुपा रही है।" "मुझे सब कुछ मालूम है जगदीश!" खटपटिया ने जैसे राज की बात बताई। सर की बात सुनकर जगदीश जैसे उछल पड़ा। "क्या बात करते हो सर आपको सब कुछ मालूम है फिर भी आपने उसे घर जाने दिया अरेस्ट नहीं किया?' "बिना सबूत के किसी को अरेस्ट नहीं किया जाता। मुझे भी मीरा का बिहेवियर डाउटफुल लगता है। बहरहाल उसके खिलाफ अपने पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है। ऐसा कुछ होगा तो जल्द ही पता लग जाएगा जगदीश। तुम फिकर मत करो। खटपटिया ने कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली है।" कहते हुए वह गहरी सोच में पड़ गया। उस वक्त खटपटिया का पूरा ध्यान ड्राइव करने पर था।

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4 Comments

RISHITA

13-Oct-2023 01:07 PM

Awesome

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hema mohril

11-Oct-2023 09:25 PM

V nice

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Gunjan Kamal

05-Oct-2023 08:36 AM

👏👌

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